बाहरी चमक के पीछे का सच: भारतीय क्रिकेटरों जिन्होंने आत्महत्या की!




आत्महत्या एक दुख का विषय है। कोई ख़ुशी से नहीं मरता। कोई बेवफ़ाई से दुखी होकर मर जाता है। कोई आर्थिक मुश्किलों की वजह से ख़ुद को ख़त्म कर लेता है। कोई सिर्फ़ इसलिए डिप्रेस रहने लगता है क्योंकि एक बार जब क्रिकेट ख़त्म हो गई, तो आपको कोई भाव नहीं देता। जो लोग आपके आगे पीछे घूमते थे, अब वो आपको पहचानने से भी इनकार कर देते हैं। आज हम आपको कुछ उन इण्डियन क्रिकेटर्स (Indian Cricketers) के बारे में बतायेंगे जिन्होंने आत्महत्या की या जो ऐन मौक़ा पर बच गये। इस साल जून में इंडिया (INDIA) के पुराने फ़ास्ट बॉलर David Johnson (डेविड जॉनसन) ने आत्महत्या की थी। David Johnson (डेविड जॉनसन) ने इंडिया (INDIA) के लिये दो टेस्ट मैच भी खेले थे। पर कई बार चोट लगने की वजह से उनका करियर ज़्यादा चला नहीं। हालाँकि Ranji Trophy (रणजी ट्रॉफी) में वो काफ़ी खेले और वो बच्चों को कोचिंग भी देते थे, पर बाद में उनको उनकी सेहत ने ख़ासा परेशान किया। उनके पेट में बहुत दर्द रहता था। इसके रहते इसी साल जून में उन्होंने अपनी चौथी मंज़िल के मकान से कूद के आत्महत्या कर ली। David Johnson (डेविड जॉनसन) के मुक़ाबले तमिलनाडु (Tamil Nadu) के वीबी चंद्रशेखर (Vakkadai Bhikshesvaran Chandrasekhar) ने क्यों आत्महत्या की ये बात आज भी लोगों को परेशान करती है। वीबी चंद्रशेखर (Vakkadai Bhikshesvaran Chandrasekhar) ने भारत के लिए सात ODI मैच खेले। वो उस 1990 के दौरे पर थे जब Sachin Tendulkar (सचिन तेंदुलकर) ने न्यू जीलैंड (New Zealand) में एक ओपनर के रूप में अपनी पहचान बनाई थी। वीबी चंद्रशेखर (Vakkadai Bhikshesvaran Chandrasekhar) के पिता एक बहुत बड़े वकील थे चेन्नई में और 1980 के दशक में जब लोगों के पास मारुति 800 भी बड़ी मुश्किल से होती थी, वीबी चंद्रशेखर (Vakkadai Bhikshesvaran Chandrasekhar) प्रैक्टिस के लिए मर्सिडीज़ में आया करते थे। बाद में वो नेशनल सिलेक्टर भी बने, Chennai Super Kings (चेन्नई सुपर किंग्स) के आईपीएल (IPL) के शुरुआत के दिनों में वीबी चंद्रशेखर (Vakkadai Bhikshesvaran Chandrasekhar) का बड़ा दबदबा था। MS Dhoni (महेंद्र सिंह धोनी) को चेन्नई (Chennai) लाने में उनकी एक अहम भूमिका थी। इसके अलावा उन्होंने Tamil Nadu Premier League (तमिलनाडु प्रीमियर लीग) में एक टीम भी ख़रीदी थी। बाहर से इतने सफल दिखने वाले वीबी चंद्रशेखर (Vakkadai Bhikshesvaran Chandrasekhar) अंदर से काफ़ी टूटे हुए थे। अपने 58वें जन्मदिन के कुछ दिन पहले उन्होंने अपने अपार्टमेंट में फाँसी लगाकर अपनी जान दे दी। Praveen Kumar (प्रवीण कुमार) को हर क्रिकेट प्रेमी जानता है। इंडिया के लिये छह टेस्ट, 68 ODI और 10 T20 के मैच उन्होंने खेले। टेस्ट मैचों में तो एक बार उन्होंने एक पारी में पाँच विकेट भी लिये थे। पर एकदम से उनके करियर पर विराम लग गया। वो चोटिल बहुत रहते थे। एक बार दुखी होकर वो घर से निकले सुसाइड करने के लिए। पास थी भारी ही रिवाल्वर। पर जैसे ही उन्होंने रिवाल्वर अपनी कनपटी पर रखी और वो घोड़ा दबाने ही वाले थे उनके सामने अपने लड़की का चेहरा घूम गया। बस उस बच्चे की याद में उन्होंने आत्महत्या करने से अपने को बचा लिया। ये सच है कि जब आपका क्रिकेट (Cricket) का करियर एकदम से आपके हाथ से निकल जाये, जो लोग आपके आगे पीछे घूमते थे वो आपको ना पहचाने, तो आप अपना मानसिक संतुलन खो बैठते हैं। मशहूर क्रिकेटर और कमेंटेटर Sanjay Manjrekar (संजय मांजरेकर) अपनी किताब “Imperfect” में बताते हैं कि उनके पिता Vijay Manjrekar (विजय मांजरेकर) क्रिकेट के बाद अपने जीवन को संभल ना पाए। हर किसी से वो लड़ पड़ते थे। अगर पीछे की कार से लाइट आ रही हो तो उस कार वाले से हाथापाई पर उतर आते थे। आज की मशहूर मीडिया पर्सनालिटी Rajdeep Sardesai (राजदीप सरदेसाई) के पिता Dilip Sardesai (दिलीप सरदेसाई) क्रिकेट में एक बहुत बड़ा नाम थे। वो भी अपने क्रिकेट के करियर के बाद अपने को संभल ना पाए। उनको व्यवसाय में काफ़ी नुक़सान हुआ था और एक बार तो ED ने उनकी जाँचपड़ताल भी की और उनको अरेस्ट भी किया था। जब इतने मशहूर क्रिकेटर अपने को सम्भाल नहीं पाते हैं तो सोचिए उनके बारे में जो गुमनामी के अंधेरों में खो जाते हैं। क्रिकेट के एक मशहूर लेखक David Frith (डेविड फ़्रिथ) ने दो किताबें लिखी हैं जिसमें उन्होंने उन क्रिकेटरों के बारे में बात की है जिन्होंने आत्महत्या की। पहली किताब उन्होंने लिखी थी “by his own hand” जिसमें 80 खिलाड़ियों की आत्महत्या का ज़िक्र है। दूसरी किताब थी “Silence of the Heart: Cricket Suicides” जो उन्होंने इंग्लैंड (England) के पुराने कप्तान Mike Brearley (माइक ब्रियरली) के साथ लिखी थी और उसमें 151 आत्महत्याओं का ज़िक्र था।